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Shubh Mangal Savdhan movie double meaning dialogs

Shubh Mangal Savdhan movie double meaning dialogs

उसने भी मुझे छुआ है । ये देखो निशान । वन साइड नहीं है हमारा प्यार ।”
“मजाल है कि आप अप्रोच करें । पिछले एक महीने से ताड़ रहे हो आप । फ़ट्टू हैं आप ?”
“नहीं जी । शर्मा हैं गुड़गांव के ।”
“मार्केटिंग में जॉब किया है, काफ़ी कुछ बेचा है । पर अपनी प्रेजेंटेशन पहली बार दे रहा हूं । तो ये हां है ? ”
“ना भी नहीं है ।”


“ये आज कल के लड़कों का न, दिमाग ही खराब है । नहीं, शक्ल चूजे भर की और लड़की चाहिए कैटरीना कैफ़ । खुद तो आम-वाम चूस के निकल जाएंगे और सारा प्रेशर हमारे पे आ जाता है
।”
“औरत का शरीर रहस्य का खजाना होता है । एक बंद गुफ़ा में रहता है । और ये गुफ़ा कब खुलती है पता है ?”
“जब कोई 'खुल जा सिम सिम' बोलता है मम्मी”


“नहीं नहीं नहीं । सुहागरात वाले दिन खुलती है और चालीस चोर के लिए नहीं खुलती है । सिर्फ़ अलीबाबा के लिए खुलती है ।”
“और अगर अलीबाबा गुफ़ा तक पहुंचे ही न तो ?”
“वो मेरा लौंडा है । उसका कुछ भी नन्हा सा नही हो सकता है ।”
“पैरी पौना । पापाजी”
“पैरी पौना छोड़ो । ये जो आधा पौना बचा है न, आपका, वो संभाल लो आप ।”
“होने वाले दामाद से कैसे बात कर रहे हो आप ?”
“अरे होने वाला है न ? हुआ तो नहीं है न अभी ?”

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